निर्देशक : नितेश तिवारी
स्टार : 4 /5
कास्ट : आमिर खान, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा , साक्षी तंवर , जायरा वसीम, सुहानी भटनागर
निर्माता : आमिर खान, यूटीवी , किरण राव
संगीत : प्रीतम
हम अक्सर बेटियों को बोज समझते आज भी भारत के कई गांवो में बेटी हुई श्राप समजते हैं, जबकि भारत सरकार ने कई नियम बनाए हैं, हम बेटी बचाव की बात नहीं कर रहे हैं पर न जाने आम जनता को यह समझ आएँगी की बेटी होना श्राप नहीं पूण्य हैं ।
निर्देशक नितेश तिवारी ने 'भूतनाथ रिटर्न्स' और 'चिल्लर पार्टी' के बाद अब बायोपिक लेकर आ रहे , यह बायोपिक रेसलर महावीर फोगाट की।
कहानी की बात करते हैं, कहानी से कुछ लोंग तो वाकिफ ही होंगे फिर भी आपको बता ही देते है रेसलर महावीर फोगाट ( आमिर खान ) जिसका सपना हैं कि वह अपने देश के लिए रेसलिंग में गोल्ड जीते, लेकिन उनका यह सपना किसी कारण पूरा नहीं हो सका, अब उनका यह सपना हैं उनका यह सपना उनका बेटा पूरा करेंगा, पर किस्मत को यह मंजूर नहीं था और उनके घर लड़की ने जन्म दिया, महावीर की पत्नी (साक्षी तंवर) दोबारा गर्भती होती और महावीर की उम्मीद फिर जगती हैं, पर किस्मत फिर दगा दिया और फिर उन्हें लड़की हुई, इस तरह महावीर के घर चार लड़की ने जन्म दिया, महावीर की उम्मीद ही टूट गई, लेकिन कुछ सालों के बाद जब महावीर को पता चलता है कि उनकी बेटियां गीता [जायरा(बचपन में), फातिमा सना शेख(बड़ी होने पर)] और बबिता [सुहानी (बचपन में ) , सान्या मल्होत्रा (बड़ी होने पर) ] 2 लड़कों की पिटाई करके आई हैं तो उन्हें यकीन हो जाता है कि देश के लिए गोल्ड उनकी बेटियां भी जीत सकती हैं। महावीर दोनों बेटियों को रेसलिंग की ट्रेनिंग देते है और आखिर ये लडकियां मां-बाप के साथ-साथ देश का नाम भी वर्ल्ड लेवल पर ले जाती हैं।
अब बात करते हैं निर्देशन की नितेश तिवारी ने साबित कर दिया की डायरेक्शन इसे कहते हैं , रियल लोकेशन पर शूट करना और इमोशन को बरकरार रखना नितेश ने बड़ी ही उम्दा तरीके से पेश किया हैं। बात करते है अभिनय की तो कास्टिंग गजब की थी , परफेक्टनिस्ट आमिर खान उन्होंने तो दिल छू लेने वाला किरदार निभाया है, फिर एक पिता का हो या रेसलिंग ट्रेनर का, साथ ही मां के रूप में साक्षी तंवर ने छोटी गीता बबिता के रोल में जायरा और सुहानी ने और बड़ी गीता और बबिता के किरदार में फातिमा और सान्या मल्होत्रा ने बेहतरीन एक्टिंग की है, यहाँ तक अपारशक्ति खुराना ने अच्छा काम किया।
संगीत की बात करे तो संगीत कहानी का हिस्सा है, हर गाना कहानी के साथ चलता है, और गाना कब आता यह आप नहीं पाएंगे, आप कहानी में इतने लीन हो जायेंगे ।
कुछ समजते हैं की सुल्तान जैसी यह फिल्म हैं, यह बिलकुल गलत हैं, यह फिल्म उनके लिए जरूर हैं जो आज भी बेटियो को बोझ समझते हैं ।